यादें "

👉.... " पलकों के कोरों में कुछ छुपा सा है 
     ना जाने दिल आज क्यों भरा सा है !
रातें पूछती है मेरे जागने का सबब 
क्या राहगीर आज कोई राह भुला सा है ?
पंछी कब का ऊड़ भी गया डाल से 
फिर कौन दिल के मुंडेर पर टिका सा है ?
जलते तो रहते है यादों के चिराग रात - दिन 
फिर ना क्यों दिल में अंधेरा सा है " !!
                                @sirftum.ap 

No comments:

Post a Comment